How we work

अखिल भारतीय श्रीमाली महासभा के उद्देश्य ....

  • स्वजातीय बन्धुओं को आत्मीय भाव से संगठित करना अर्थात् पारिवारिक धरातल पर खड़े होकर सब प्रकार से अपने समाज की उन्नति करना।

  • राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक प्रान्तों में प्रान्तीय इकाई, जिला इकाई तथा नगर इकाई का गठन करना।

  • अपने राष्ट्र समाज की पावन संस्कृति की रक्षा करते हुए लुप्त प्राय आध्यात्मिक विज्ञान, आयुर्वेद, ज्योतिष विज्ञान, परिवार व समाज में रहने की विद्या का विकास करना।

  • विद्यालय, पुस्तकालय, वाचनालय, छात्रालय, देवालय, धर्मशाला, पतंजलियोगकेन्द्र स्थापित करना।

  • स्वजातीय समाज के अनाथ बच्चों, विधवाओं एवं निर्धन बन्धुओं को स्वावलम्बी बनाने का प्रयास करना।

  • सुयोग्य विद्यार्थियों को भविष्य निर्माण हेतु यथाशक्ति सहयोग एवं कैरियर गाइडेन्स कैम्प लगाकर उन्हें प्रेरित करते हुए उनकी प्रतिभा का विकास करना।

  • समाज को सुखधाम बनाने के लिए प्रचलित अनुचित प्रथाओं (रीति-रिवाजों) में समयानुकूल व आवश्यकतानुसार यथोचित परिवर्तन करना।

  • स्वजातीय बालकों/बालिकाओं की मानसिक, आत्मिक, शारीरिक उन्नति के उपाय करना एवं उन्हें सदाचार सिखलाना।

  • संस्था के प्रचार -प्रसार हेतु पत्र, पत्रिकाएं प्रकाशित करना।

  • महासभा के लाभार्थ चल-अचल सम्पत्ति को स्वीकार करना।

  • स्वजातीय बन्धुओं के पारस्परिक विवादों को परिषद् की उप-समिति द्वारा अथवा अन्य किसी उचित ढंग से समाप्त कराना एवं उनकी सामाजिक उन्नति के लिए प्रयत्नशील रहना।

  • दहेज प्रथा को सम्यक दृष्टिकोण देकर उसको समूल समाप्त करना।

  • स्वाजाति से सम्बन्धित सभा प्रान्तीय व क्षेत्रीय संस्थाओं से समन्वय स्थापित कर उनका मार्गदर्शन करना एवं यथाशाक्ति उनकी सहायता करना ।

  • नशा उन्मूलन मद्यपान के प्रति स्वजातीय समाज में जागरूकता लाना एवं इसके रोकथाम के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन करना।

  • स्वजातीय समाज में शिक्षा के विकास के लिए पिछड़े क्षेत्रों में विद्यालयों एवं महाविद्यालयों की स्थापना करना तथा उनका संचालन करना।

  • स्वजातीय बन्धुओं की गिरी हुई आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए नैतिक, सामाजिक एवं राजनैतिक दृष्टि से प्रयास करना।

  • अन्य वे सभी उपाय करना जिससे स्वजाति का शैक्षिक, नैतिक, आर्थिक एवं सामाजिक विकास हो।

  • अति प्रशंसनीय कार्य करने वाले सदस्यों व पदाधिकारियों को समय-समय पर सम्मानित करना।

  • मंदिर/ देवालय/ पौराणिक एवं धार्मिक स्थल के रख-रखाव, संचालन पुजारी आदि का दायित्व निर्वहन करना तथा ऐसे स्थलों को पर्यटन केन्द्र के रूप विकसित करना।

  • पुष्पों की खेती को बढ़ावा देने के लिए सभी सम्बन्धित विभागों अनुदान दिलाने, पुष्प प्रदर्शनी एवं पुष्प सज्जा के कार्यों का प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था एवं संचालन।

  • औषधियों एवं दुर्लभ वनस्पतियों का संरक्षण उद्यान, पार्क, गृहवाटिका, हरितपट्का का व्यवस्था करना।

  • पौधशालाओं, बीज केन्द्र, पुष्प वितरण व्यवस्था पौध वितरण केन्द्र, नर्सरी आदि की स्थापना एवं संचालन।

  • पुष्प आधिारित उद्योग धन्धों की स्थापना एवं विपणन केन्द्रों का संचालन करना।

  • सरकारी योजनाओं, परियोजनाओं, ऋण योजनाओं को समाज के विभिन्न वर्गों में संचालित करना।

  • राष्ट्र को देशभक्त, समर्पित स्वास्थ एवं सच्चरित्र नागरिक प्रदान करना।

  • राष्ट्रीयता का प्रचार-प्रसार करना। राष्ट्रीय एवं अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के विकास के लिए प्रयास करना । संस्कृतिक कार्यक्रम जैसे कवि सम्मेलन, नाटक, नौटकी एवं अन्य संगीत कार्यक्रमों के आयोजन द्वारा प्रतिभाओं के कला प्रदर्शन का अवसर देना। महापुरूषों के आदर्शों द्वारा समाज एवं राष्ट्र का निर्माण एवं विकास में सयोग करना।

  • अखिल भारतीय श्रीमाली महासभा एक गैर राजनैतिक आलाभकारी एवं सामाजिक संस्था है।

  • 1 स्वजातीय बंधुओ को एक जुट करना।

  • 2 गरीब बच्चों को शिक्षा का सुविधा प्रदान करना।

  • 3 विवाह योग्य वर वधु का विवाह सम्मेलन कराना और शुचिबनाना।

  • 4 गरीब लोगों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना।

  • 5गरीब विधवा वृद्ध तथा विद्यार्थियों को आर्थिक सुविधाएं प्रदान कराना।

  • 6 वार्षिक स्नेह सम्मेलन आयोजन कराना।

  • 7 गरीब बच्चों को शिक्षा के लिए मुफ्त पुस्तके वितरित करना।

  • 8 सामाजित जागृत चेतना का विकाश करना।

  • 9 छेत्रिय उत्थान के लिए छेत्रिय कमेटी का गठन करना।